उत्तर प्रदेश की राजनीति में दो बाहुबली नेताओं का नाम अक्सर चर्चा में रहता है। मुख्तार अंसारी और धनंजय सिंह। मुख्तार और धनंजय सिंह के बीच अदावत की कहानी भी पुरानी और चर्चित रही है। इस बार सूबे के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी जेल से चुनाव लड़ रहे हैं। तो वहीं धनंजय सिंह जौनपुर की मल्हनी सीट से चुनावी अखाड़े में हैं। एक इंटरव्यू के दौरान धनंजय सिंह ने बताया कि आखिरकार उनके और अंसारी के बीच रिश्तों में इतनी कड़वाहट क्यों आ गई?
यूपी तक’ को दिए एक इंटरव्यू में धनंजय सिंह ने बताया कि ‘साल 2002 में हम (धनंजय सिंह, राजा भैया समेत अन्य) निर्दलीय विधायकों को सरकार में शामिल ना करने को लेकर मायावती ने बयान दिया। हम इसको लेकर विरोध कर रहे थे और सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला कर लिया था। सरकार से समर्थन वापस लेने की बात पर हम सभी के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई शुरू हो गई, मुकदमा और छापेमारी शुरू हो गई। हम सभी पर एक रात में दस-दस केस दर्ज कर दिए गए और हमें जेल में डाल दिया गया।’
धनंजय सिंह ने बताया कि ‘बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय जी से हमारी बात हुई और हमने अपने समर्थक विधायकों से सरकार के खिलाफ वोटिंग करने की अपील की। कृष्णानंद राय हमारे समर्थन में आए और उन्होंने कहा कि “भाजपा-बसपा की सरकार गिर जायेगी तो सपा में हमारे बहुत विरोधी है। हमारा साथ कौन देगा?” धनंजय सिंह ने बताया कि हमने उनके साथ खड़े होने का वादा किया था।
इसके बाद साल 2005 में लखनऊ कैंट में दो पक्षों में गोली चली थी। कृष्णानंद राय का मुझे फोन आया कि उन्हें थाने में बैठाया गया है। हम तुरंत थाने पहुंचे और पुलिस पर दबाव बनाकर क्रॉस FIR दर्ज करवाई क्योंकि गोली दोनों तरफ से चली थी। दोनों तरफ से लोगों को गिरफ्तार किया गया और हमने कृष्णानंद राय को पुलिस थाने से निकालकर उनके घर पहुंचा दिया। अब इस बात को लेकर हमसे कुछ लोग रंजिश रखते हैं तो रखें।
धनंजय सिंह ने बताया कि “मुख्तार अंसारी से हम कोई रंजिश नहीं रखते, वे रखते हों तो अलग बात है। हां वे और उनके साथी मुझे मारने का प्रयास कर रहे हैं। क्या आप को आज भी अपनी जान का खतरा है?” इस पर धनंजय सिंह ने कहा कि ‘जान का खतरा बिल्कुल है। लोग मेरी हत्या करना चाहते हैं।’