जानें कैसे रालोद के अभेद्य दुर्ग में सेंध लगाएगी भाजपा, योगी ने चली जबरजस्त सियासी चाल

लखनऊ,छपरौली का अपना सियासी मिजाज है। अंदाज है। 1937 में ही चौधरी चरण सिंह ने छपरौली पर जो वर्चस्व कायम किया, वह अब तक कायम है। तब से अब तक चौधरी चरण सिंह का परिवार का, या उनके उतारे प्रत्याशी ही इस सीट पर जीतते आए हैं। यानी छपरौली रालोद का अभेद्य दुर्ग है। 2017 में प्रचंड लहर में भी रालोद के छपरौली से जीते एकमात्र विधायक को अपने पाले में करने के बावजूद भाजपा के सामने यहां के मतदाताओं का दिल जीतने की चुनौती बरकरार है।
अब बातें उन समीकरणों की जिसकी वजह से यह एक अभेद्य दुर्ग रही है। इस सीट पर 1.30 लाख जाट मतदाता हैं। जो कैसी भी हवा हो, उसका रुख मोड़ने का माद्दा रखते हैं। रालोद ने इसी सीट से 2002 में विधायक रहे प्रो. अजय कुमार को मैदान में उतारा है, तो भाजपा ने चौधरी परिवार के इस अभेद्य किले को फतह करने की उम्मीद में विधायक सहेंद्र सिंह रमाला को प्रत्याशी बनाया है। सहेंद्र रालोद के चुनाव चिह्न पर 2017 में विधायक बने और बाद में पाला बदल भाजपा में चले गए। पार्टी के काडर वोट बैंक के साथ मुस्लिम मतदाताओं की जुगलबंदी की उम्मीद में बसपा ने यहां साहिक को उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने डॉ. यूनुस चौधरी पर दांव लगाया है। जाट वोटों में सेंध की उम्मीद में आप ने यहां से राजेंद्र खोखर को मैदान में उतार दिया है।
चौधरी चरण सिंह छपरौली में 1937 से 1977 तक हर चुनाव जीतते रहे। इसके बाद वह केंद्र की राजनीति में पहुंच गए। इस सीट से उनकी बेटी सरोज वर्मा भी 1985 में और बेटे चौधरी अजित सिंह वर्ष 1991 में विधायक चुने गए। एडवोकेट नरेंद्र सिंह भी यहां से पांच बार विधानसभा पहुंचे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज बिजनौर के प्रवास पर रहेंगे. यहां के काकरान वाटिका व कान्हा हाल के नजीमाबाद में मतदाताओं के साथ संवाद करेंगें. इसके पश्चात धामपुर में मतदाताओं के साथ घर-घर जनसम्पर्क करेंगे.